आप अवधि जीवन बीमा (टर्म लाइफ़ इंश्योरेंस) क्यों खरीदते हैं? वह इसलिए ताकि आप अपने परिवार में कमाने वाले व्यक्ति के साथ कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटने पर परिवार को वित्तीय चुनौतियों से बचा सकें। आप यह मान लेते हैं और आशा करते हैं कि जब उन्हें कवरेज राशि की सबसे ज़्यादा ज़रूरत पड़ेगी, तो बीमा प्रदाता इसका भुगतान कर देगा।
और यदि बीमाकर्ता ने भुगतान में देरी की या इससे भी बदतर, उसने दावे को अस्वीकार कर दिया तो क्या होगा?
ज़्यादातर लोग बीमा की खरीदारी प्रीमियम के भुगतान के आधार पर करते हैं। प्रीमियम राशि जितनी कम होगी, उन्हें उतना ही ज़्यादा मूल्य प्राप्त होगा। प्रीमियम लागत महत्वपूर्ण तो है, लेकिन बीमाकर्ता का दावा निपटान अनुपात भी उतना ही महत्वपूर्ण कारक है जिस पर ध्यान देना ज़रूरी है।
तो दावा निपटान अनुपात क्या है?
दावा निपटान अनुपात (सीएसआर) ग्राहकों द्वारा किए गए दावों की कुल संख्या है जिसका बीमाकर्ता ने प्राप्त दावों की संख्या के संबंध में भुगतान किया है।
तो दावा निपटान अनुपात की गणना कैसे की जाती है?
जीवन बीमा के दावा निपटान अनुपात की गणना करने के लिए निम्नलिखित फ़ॉरमुले का उपयोग किया जाता है:
सीएसआर = (एक वित्त वर्ष में निपटाए गए दावों की कुल संख्या / पिछले वित्त वर्ष से आगे लाए गए दावे + एक वित्त वर्ष में प्राप्त दावों की कुल संख्या) x 100
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कोई बीमा कंपनी एक वर्ष में 980 दावे प्राप्त करती है जिनमें से 20 दावों को पिछले वित्त वर्ष से आगे लाया गया है और कंपनी उनमें से 950 दावों का निपटान करती है, तो उस वर्ष के लिए सीएसआर यह होगा:
सीएसआर = (950 / 20 + 980) x 100 = 95%
दावा निपटान अनुपात बीमा कंपनी के भरोसेमंद होने का एक महत्वपूर्ण संकेतक तो है, लेकिन आपको अपनी योजना पर निर्णय लेने से पहले उनकी वित्तीय शक्ति, ग्राहक सेवा और प्रोडक्ट्स का भी मूल्यांकन कर लेना चाहिए।
दावा निपटान अनुपात को प्रभावित करने वाले कारक
निर्बाध दावा प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए पहला कदम आवेदन पत्र को उचित तरीके से भरना है और यह काम जीवन बीमा के लिए आवेदन करते और दावा फ़ाइल करते दोनों समय करना चाहिए। ऐसे कई कारक हैं जिनके आधार पर बीमा कंपनियों को दावा अस्वीकार करना पड़ता है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
जानकारी का खुलासा न करना या गुमराह करने वाली जानकारी प्रदान करना: जीवन बीमा के लिए आवेदन पत्र भरते समय कोई भी तथ्य न छिपाएँ। अपनी आयु, जीवनशैली से जुड़ी आदतों और व्यवसाय के बारे में ईमानदार बने रहें। पहले से मौजूद बीमारी का खुलासा करें, खास तौर पर इसलिए क्योंकि यदि दावा फ़ाइल करते समय यह बात पता चलती है, तो न सिर्फ़ आपका दावा अस्वीकार हो जाएगा, बल्कि धोखाधड़ी के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा। सुनिश्चित करें कि आप फ़ॉर्म को सही ढंग से भरते हैं और सारे ज़रूरी सहायक डॉक्यूमेंट प्रदान करें।
तथ्यों की गलत बयानी: उदाहरण के लिए, यदि मृत्यु आत्महत्या की वजह से हुई है या ऐसी किसी परिस्थिति में हुई है जिसे पॉलिसी द्वारा कवर नहीं किया गया है।
नामांकित व्यक्ति का गलत विवरण: यदि नामांकित व्यक्ति के विवरण में कोई अंतर है, तो उसे बीमा राशि प्रदान करने से मना किया जा सकता है। सुनिश्चित करें कि प्रस्ताव फ़ॉर्म में नामांकित व्यक्ति का नाम और रिश्ता सही तरीके से बताया गया है। साथ ही, मृत्यु, शादी या जन्म जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं की स्थिति में सुनिश्चित करें कि यदि ज़रूरी हो, तो नामांकित व्यक्तियों को अपडेट किया जाए।
वर्तमान लाइफ़ कवर का खुलासा न करना: यदि आपके पास वर्तमान लाइफ़ कवर है या यदि आपका लाइफ़ कवर ह्युमन लाइफ़ वैल्यू (एचएलवी) से ज़्यादा है, तो आपका दावा अस्वीकृत हो सकता है। एचएलवी की गणना करने के लिए आपकी आयु, आय, बचत, बचे हुए कामकाजी वर्ष जैसे अलग-अलग मापदंडों को ध्यान में रखा जाता है। यदि लागू कवर और वर्तमान कवर व्यक्ति की संपूर्ण बीमा योग्यता से ज़्यादा है, तो पूरे दावे को अस्वीकार किया जा सकता है।
अच्छा दावा निपटान अनुपात क्या है?
80% से ज़्यादा के दावा निपटान अनुपात को अच्छा बीमा दावा निपटान अनुपात कहते हैं। दावे के निपटान में लगने वाला समय एक और कारक है जिसे ध्यान में रखना ज़रूरी है। 30 दिनों से कम का कोई भी समय आदर्श अवधि बीमा दावा निपटान अनुपात है, लेकिन दावा जल्द किए जाने पर यह ज़्यादा हो सकता है। आईआरडीए द्वारा बीमाकर्ता को दावे की छानबीन करने के लिए 90 दिन और छानबीन की समाप्ति के बाद निर्णय लेने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है।
दावा निपटान अनुपात कैसे देखें?
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण यानी आईआरडीएआई द्वारा हर वर्ष जीवन बीमा कंपनियों के लिए दावा निपटान अनुपात प्रकाशित किया जाता है। अपनी पसंदीदा बीमा कंपनी का सीएसआर जानने के लिए, आईआरडीएआई की वेबसाइट पर जाएँ या इंटरनेट पर आईआरडीएआई दावा निपटान अनुपात (वर्ष) खोजें।
दावा निपटान अनुपात को कैसे सुधार सकते हैं ?
सफल दावा निपटान अनुपात की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ बीमाकर्ता पर नहीं है। हर पॉलिसीधारक भी इसमें एक भूमिका निभाता है। इन सुझावों से सुनिश्चित होगा कि आप अपनी अवधि योजना के दावा निपटान अनुपात में सुधार करते हैं।
1) सुनिश्चित करें कि आवेदन पत्र भरते समय आपने सभी विवरण और दस्तावेज़ सही तरीके से प्रदान किए हैं और कोई जानकारी नहीं छिपाई है और न ही किसी जानकारी की गलत बयानी की है।
2) आवेदन पत्र पर बारीक अक्षरों में दिए गए सारे विवरण पढ़ें।
3) आवेदन पत्र पर बारीक अक्षरों में दिए गए सारे विवरण पढ़ें।
4) दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटने पर जल्द से जल्द बीमाकर्ता को इसकी सूचना दें।
5) सुनिश्चित करें कि आपके लाभार्थी और आपके अपने विवरण, जैसे कि नाम, पता, संपर्क नंबर, वगैरह को नियमित रूप से अपडेट किया जाए, खास तौर पर यदि आपको कोई गंभीर बीमारी हो जाती है।
6) दावा प्रक्रिया को समझें और सभी अनिवार्य दस्तावेज़ों को तुरंत उपयोग के लिए तैयार रखें।
याद रखें, दावा निपटान अनुपात निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन ऊपर बताए गए दूसरे कारक भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। यदि बीमित व्यक्ति ने प्रस्ताव फॉर्म में सारी जानकारी सही ढंग से घोषित की है और बीमाकर्ता ने पॉलिसी जारी की है, तो दावे के अस्वीकृत होने की कोई संभावना नहीं है। इससे आपको ऐसी योजना में निवेश करने में मदद मिलेगी जो भरोसेमंद है और आपके परिवार के भविष्य के बारे में उतनी ही परवाह करती है जितना कि आप करते हैं।